दंगाइयों पर कड़े प्रहार जरूरी...

मोहम्मद पैगंबर के मामले में भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने क्या बयान दिया, क्या नहीं दिया, यह अलग विषय है, लेकिन जिस तरह से इस मामले को देशभर में अराजकता की हद पार करते हुए रंग देने का प्रयास किया जा रहा है, वह किसी सोची-समझी साजिश का हिस्सा नजर आता है... आखिर नमाज के बाद अचानक हिंसक प्रदर्शन शुरू हो जाता है, वह भी देश के दर्जनभर से अधिक राज्यों में एक साथ... यानी मुस्लिमों की नमाज के बाद इस तरह के हिंसक और अराजक व्यवहार की पूर्व तैयारी थी और वे एक-दूसरे से सोशल मीडिया व अन्य संचार तकनीक के जरिये संपर्क में थे कि सरकार या शासन पर दबाव बनाने के लिए किस तरह से हथकंडे अपनाते हुए हिंसक व्यवहार करना है, पुलिस को निशाना बनाना है और आगजनी के साथ तोडफ़ोड़ भी करना है... क्योंकि प्रयागराज की हिंसा के जिस मास्टरमाइंड जावेद पम्प का अवैध मकान ध्वस्त किया गया है, वहां पर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) अर्थात् सिमी की भांति देश विरोधी काम करने वाले इस संगठन ने इस पूरी साजिश को परवान चढ़ाया है... क्योंकि पीएफआई के झंडे के साथ ही आपत्तिजनक साहित्य भी जावेद के घर से मिला है... अब तक 500 से अधिक लोगों को इस हिंसा में गिरफ्तार किया जा चुका है और पूरे घटनाक्रम के षड्यंत्रकारी भी शनै: शनै: सामने आने लगे हैं... क्योंकि नमाज के बाद यह दिल्ली, मुंबई का हिंसक मामलाभर नहीं था, बल्कि जम्मू-कश्मीर, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश, असम, बिहार, मध्यप्रदेश, झारखंड, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और दिल्ली में भी इस तरह की हिंसक घटनाएं नमाज के बाद प्रायोजित तरीके से आगे बढ़ाई है... बंगाल के हावड़ा में तो जिस तरह से मुस्लिमों ने विरोध की आड़ में नंगा नाच खेला, वह आश्चर्यजनक है... कानपुर से लेकर सहारनपुर, प्रयागराज में भी दंगाइयों ने घरों, दुकानों को आग लगाकर पूरा माहौल रक्तरंजित करने में कसर नहीं छोड़ी... अब अगर पीएफआई से मिले आंकड़ों के बाद जो सच्चाई सामने आ रही है कि पूरे उत्तरप्रदेश को हिंसा की आग में झोंककर हर जगह दंगे भड़काने की साजिश रची गई थी, तो यह साजिश सिर्फ उत्तरप्रदेश तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके तार मुंबई से लेकर दिल्ली तक और देशभर में जहां-जहां हिंसा भड़की, वहां तक फैले हैं... ऐसे में जिस तेजी से योगी सरकार ने दंगाइयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की पहल की है, ऐसा ही कठोर दंडात्मक कार्रवाई का साहस अन्य राज्यों को दिखाना होगा... ताकि भविष्य में इस तरह की प्रायोजित हिंसा का खेल नमाज के बाद न हो सके... क्योंकि जब पत्थर बरसाने वाले 10 से 20 वर्ष के आयु के ही थे, तो यह ऊपर से संदेश व संकेत के बिना संभव नहीं था...
दृष्टिकोण
कांग्रेस का शर्मनाक प्रदर्शन...
नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी को नोटिस जारी करते हुए पूछताछ के लिए बुलाया था... सोनिया गांधी ने तो ईडी की कार्रवाई से बचने के लिए पहले कोरोना का और अब अस्पताल में भर्ती होकर मामले को रफा-दफा करने की राजनीतिक चतुराई दिखाई है... लेकिन देखने लायक यह होगा कि कांग्रेस की यह चाल ईडी के सामने कब तक चलती है..? हालांकि राहुल गांधी ने आज ईडी दफ्तर पहुंचकर करीब तीन घंटे से अधिक समय तक ईडी के सवालों का सामना किया... जवाब क्या रहा होगा, यह हम राहुल की अब तक की उन राजनीति प्रतिक्रियाओं और नेशनल हेराल्ड मामले में की गई अनियमितता को लेकर जान सकते हैं... क्योंकि जब ईडी ने पूछताछ के लिए राहुल को बुलाया तो देशभर में कार्यकर्ताओं को इस तरह का प्रदर्शन करने की क्या जरूरत थी... सत्य झुकेगा नहीं, ये राहुल गांधी है, झुकेगा नहीं... राहुलजी संघर्ष करो, हम आपके साथ हैं, इस तरह की तख्तियां लेकर कांग्रेसी कार्यकर्ता प्रदर्शन करते हुए दिल्ली में ईडी कार्यालय की तरफ बढऩे का प्रयास कर रहे थे... वे भूल गए कि राहुल गांधी किसी राष्ट्रहित के मुद्दे या फिर किसी सामाजिक, राजनीतिक आंदोलन में गिरफ्तारी देने या फिर पुलिस द्वारा उन्हें उठाने के मामले में तलब नहीं हुए हैं... बल्कि उन पर नेशनल हेराल्ड मामले में भारी-भरकम अनियमितता का न केवल तथ्यात्मक आरोप है, बल्कि वे इस मामले में बेल पर भी चल रहे हैं... ऐसे में कांग्रेसियों का इस तरह का शर्मनाक प्रदर्शन करना मानो वे (राहुल) कोई आजादी की लड़ाई लड़ रहे हों और कांग्रेस कार्यकर्ता उनका उत्साहवर्धन करने के लिए सड़क पर उतर आए हों... कांग्रेस कार्यकर्ताओं का राहुल के पक्ष में सड़क पर प्रदर्शन भ्रष्टाचार पर मौन सहमति दर्शाता है...