धर्मधारा
वि ष्णु पुराण में माता पृथ्वी के बारे में बताया गया है। इसके अनुसार भगवान विष्णु ने पृथ्वी माता की रक्षा हेतु वराह अवतार लिया था। बात तब की है, जब राक्षस हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को समुद्र की गहराइयों में धकेल दिया था, पृथ्वी को समुद्र की गहराइयों में डूब जाने से पृथ्वी पर कार्य बाधित होने लगा था, जिसके बाद देवगण भगवान विष्णु के पास पहुंचे तथा उनसे हिरण्याक्ष नामक राक्षस को नष्ट करने की बात कही, जिसके बाद भगवान विष्णु ने हिरण्याक्ष नामक राक्षस के वध करने के लिए वराह रूप धारण किया। भगवान विष्णु के इस वराह अवतार ने तभी अपने नुकीले और लम्बे दांतों की मदद से पृथ्वी को महासागार की गहराइयों से बाहर निकाल लिया। भगवान विष्णु के इस वराह अवतार की पूजन-अर्चन के लिए देश में अनेक स्थानों पर इस अवतार की प्रतिमाएं देखने को मिल जाती हैं। मध्यप्रदेश के सागर जिले में एरण नामक स्थान, विदिशा (भेलसा, वेसनगर, भेल्लस्वामिनी) जिले से कुछ किलोमीटर दूर उदयगिरी की गुफाओं में वराह अवतार की बड़ी प्रातिमा व रॉक कट मौजूद हैं। इससे अलग विदिशा जिले की तहसील गंजबासौदा से कुछ ही किलोमीटर दूर सुनारी ग्राम में भगवान के वराह अवतार की अत्यंत सुंदर प्रतिमा स्थापित है, जो कि आज भी एक बार देखते ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। देश की जानी मानी संस्था आर्किलोजी सर्वे ऑफ इंडिया के लिए अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा देने वाले डॉ. नारायण व्यासजी को जब ये सुंदर वराह मूर्ति की फोटो भेजी, तो उनका साफ शब्दों में कहना था कि जिस स्थान से ये प्रतिमा मिली है, वहां संभवत: वराह का मंदिर अवश्य रहा होगा, बस स्थान ढूंढऩा एक चुनौती है। प्रयास करने पर सफलता मिलेगी। उन्होंने बताया कि दशार्ण वैष्णव धर्म का क्षेत्र था, विशेष रूप से विदिशा के आसपास का क्षेत्र, इसलिए कई वैष्णव मंदिर होने की संभावना है। इस प्रतिमा की मुख्य विशेषता यह है कि ये यह वराह अत्यंत क्रोधित हैं। उनके अगले पैर के आसपास विष्णु के अवतार नरसिंह, वामन इत्यादि के होने की भी बात कही। इस सुंदर मूर्ति को देखते से ही दिव्यता का अनुभव होता है। यह बहुत ही सुंदर विष्णु के वराह अवतार की प्रतिमा है, जिसमें विष्णु वराह के रूप में स्त्री के रूप में बताई जलमग्न पृथ्वी का उद्धार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि हिरण्याक्ष दानव हिरण्यकश्यप का बड़ा भाई था।
ने पृथ्वी को समुद्र तल में ले जाकर छुपा दिया था। प्रतिमा बहुत सुन्दर है। वराह के ऊपर सभी प्रकार के देवता, अष्टदिक्पाल, नवग्रह, इत्यादि उत्कीर्ण है। पाताल के दृश्य में शेषनाग बताया है।